लघुकथा वृत्त

           


क्षितिज संस्था द्वारा

लघुकथा समग्र सम्मान 2019 आयोजित


मध्यप्रदेश में लघुकथा के लिए समापत सस्थान 'क्षितिज' लघुकथाकारा क एकजुट होकर काम करने हेतु एक ऐसा संकल्प जिसके निर्वहन का ऐतिहासिक महत्व भी 'लघुकथा शोध केंद्र भोपाल' और 'लघुकथा वृत्त' को समय समय पर 'क्षितिज' की ओर मार्गदर्शन एवं सहयोग प्राप्त होता रहता 'क्षितिज' के सहयोग से लघुकथा शोध केंद्र भोपाल मध्यप्रदेश एक शोधपरक कार्य करने रही है जो लघुकथा के लिए एक नया आयाम स्थापित करेगा।आज इस सम्मान को लेते हुए स्वयं पर एक बड़ी जिम्मेदारी महसूस कर रही हूँ।' यह बात क्षितिज संस्था के तत्वाधान आयोजित लघुकथा समग्र सम्मान 2019 सम्मानित लघुकथाकार श्रीमती कांता राय (भोपाल) ने अपने वक्तव्य में कही।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही श्रीमती पवित्रा अग्रवाल ने कहा कि, “वर्तमान में समय लघुकथाएं बहुत अधिक मात्रा में लिखी जा रही हैं इसका तात्पर्य यह है कि लघुकथाओं के पाठकों की संख्या बढ़ गई है और लघुकथाएं सर्वत्र स्वीकारी जा रही हैं । पत्र-पत्रिकाओं के द्वारा भी लघुकथाओं को अच्छा स्थान देकर उन्हें प्रकाशित किया जा रहा है यह एक शुभ संकेत है। अब यहां पर लघुकथा लेखकों का यह दायित्व बनता है कि वे उत्कृष्ट रचनाओं का सृजन करें और उन्हें पाठकों तक दें ताकि लघुकथा साहित्य स्वीकार होने के साथ-साथ गुणवत्ता के रूप में भी समाज में अपना स्थान बना कर सके।'' सम्पन्न इस कार्यक्रम में श्रीमती लता अग्रवाल (भोपाल)ने लघुकथा लेखन चुनौतियाँ एवं भविष्य पर व्याख्यान देते हुए कहा कि, नई पीढी के लेखन में “विषय प्रवर्तन से मौलिकता और नवीनता का अभाव खटकता है। फिर भी लघकथा को आगे ले जाने के लिए कई सारी संस्थाएं और पत्र पत्रिकाएं कटिबद्ध हैं। कई लघुकथाकार ऐसे भी हैं जो नवीन दृष्टि के साथ उत्कृष्ट लेखन कर रहे हैं, इस दृष्टि से लघुकथा के उज्जवल भविष्य की संभावनाएं हैं।'' इसके पूर्व संस्था सदस्यों द्वारा सभी अतिथियों का क्षितिज के दुपट्टे से स्वागत किया गया एवं संस्था अध्यक्ष ने अतिथियों के स्वागत में अपना उद्बोधन देते हुए उनका परिचय दियाएवं साथ ही क्षितिज संस्था की1983 से विगत 36 वर्षों की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम भविष्य के लिए भी आशान्वित हैं। पाठकों और आलोचकों का साथ लघुकथा के सुनहरे भविष्य की और इशारा कर रहा है । इसी परंपरा को कायम रखने के लिए क्षितिज ने 2018 में इस सम्मान की घोषणा की । साथ ही लघुकथा विधा को बढ़ावा देने के लिए लघुकथा समालोचना, लघुकथा शिखर व लघुकथा नवलेखन पुरस्कार भी दिए जाते हैं। क्षितिज लघुकथा संग्रह का प्रकाशन भी इसी कड़ी का हिस्सा है। उन्होंने नवाचार के साथ परंपरा के निर्वाह पर जोर दिया । कांता राय जी के चयन के संबंध में उन्हींने कहा कि वे इस दिशा में महती कार्य कर रहीं हैंऔर सम्मान की सच्ची अधिकारी हैं । इस अवसर पर डॉ अखिलेश शर्मा, श्री अशोक शर्मा भारती, श्रीमती अंतरा करवड़े, श्रीमती वसुधा गाडगिल, श्रीमती चेतना भाटी, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने अपनी लघुकथाओं पाठ किया| कार्यक्रम में इंदौर नगर के गणमान्य साहित्यकार उपस्थित थे। संचालन डॉ. दीपा मनीष व्यास द्वारा किया गया एवं आभार श्री जितेंद्र गुप्ता के द्वारा माना गया।


   


 


                                           


संपादकीय

हिंदी कथा-साहित्य में अब लघुकथा बड़े फलक की कथा बन गयी है। निश्चित ही लघुकथा अब लघु नहीं रह गयी है। देश भर में लगातार होने वाली मासिक गोष्ठियाँ, पत्र-पत्रिकाओं एवं पुस्तकों का लगातार प्रकाशन संकेत है कि वर्तमान समय में नए-पुराने सभी लघुकथाकार सचेत होकर काम कर रहें हैं। इधर भोपाल के साथ अन्य तीन शहरों दिल्ली, लखनऊ और महेश्वर ने लघुकथा शोध केंद्र भोपाल, मध्यप्रदेश शाखा की कमान कृष्ण कृष्ण लघुकथा लघुकथा शोध केंद्र भोपाल, मध्यप्रदेश शाखा की कमान संभाल ली है। देश भर में अलग-अलग मंचों पर लघुकथा को केंद्र में रख कर चर्चा-विमर्श कराये जा रहे हैं। लघुकथा को लेकर साहित्यकारों में भ्रान्ति है कि 'लघुकथा' आकार-प्रकार में खलील जिब्रान और मंटो की विचार शैली में लिखी गयी रचनाओं जैसी ही होना चाहिए। लघुकथा को कैसी होना चाहिए? इस पर अब तक में कई शोध हो चुके हैं। डॉ.शकुंतला किरण की शोध-ग्रन्थ 'हिंदी लघुकथा' में प्राचीन कथाओं से लेकर आधुनिक साहित्य तक की विवेचना की गयी है। प्रथम अध्याय 'हिंदी लघुकथाः युगीन प्रभावों की भूमिका' में विस्तारपूर्ण चर्चा की गयी है कि युगीन परिस्थितियों के प्रभाव से लघुकथा का प्रादुर्भाव किस तरह होता है? आखिर इसकी जरुरत क्यों पड़ी? प्राचीन कथाओं और लघुकथा के बीच भेद को तर्कसंगत तरीके से रखा गया है। समय के परिवर्तन से व्याप्त युगीन प्रभाव से प्रभावित हिंदी लघुकथा और आधुनिक हिंदी लघुकथा कहकर लघुकथा को भी दो भाग में बाँट दिया है। इसी सन्दर्भ में लघुकथा-वृत्त अखबार के पिछले अंकों में कई आलेख प्रकाशित कर चुके हैं। हिंदी की पहली लघुकथा' बलराम अग्रवाल की, अशोक भाटिया की लघुता में प्रभुता, 'लघुकथा और शास्त्रीय सवाल' एक विशेष प्रकार का आलेख हैसतीशराज पुष्करणा की 'हिन्दी-लघुकथाः संरचना और मूल्यांकन', माधव नागदा द्वारा लिखी गयी आलेख 'लघुकथा में शिल्प की भूमिका' सहित श्री कृष्णानंद कृष्ण की 'लघुकथा का रचना- कौशल एवं प्रस्तुति योजना' 'लघुकथा-वृत्त के प्रथम अंक में प्रकाशित कर चुके हैं। इस बार हमने 'संरचना' के संपादक और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कमल चोपड़ा द्वारा प्रेषित आलेख 'लघुकथा : संवेदना, संभावना और सरोकार' को चर्चा-विमर्श के रूप में पेश किया है। देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे आयोजनों की रिपोर्ट के साथ ही अच्छी लघुकथाएँ शामिल करने की कोशिश की है। पुस्तकों की समीक्षा के लिए सही साहित्यकार बंधुओं से विनम्र निवेदन है कि समीक्षा के लिए दो पुस्तके प्रेषित करें ताकि एक शोध केंद्र में और दूसरी पुस्तक समीक्षक को दिया जा सके। 'लघुकथा वृत्त' अखबार जन-जन तक, जन-जन के लिए साहित्य को उपलब्ध करवाने का एक सस्ता साधन है। अतः सभी पाठकों से निवेदन है। कि अखबार से जुड़ कर इसे संबल प्रदान करें।


                        मातृभारती.कॉम लघुकथा संकलन


             'स्वाभिमान' पुस्तक लोकार्पण


 


मातृभारती.कॉम आज मातृभारती.कॉम आयोजित राष्ट्रीय लघुकथा प्रतियोगिता में श्रेष्ठ लघुकथाओं को पुस्तक स्वरूप देकर पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम रखा गया। लघुकथा संकलन का नाम स्वाभिमान दिया गया है और इसे प्रकाशित किया हैवनिका प्रकाशन ने। इस मौके पर देश के विभिन्न राज्यों से आए हिंदी लघुकथाकारों ने अपनी अपनी लघुकथाओं का पाठ किया। कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य मेहमान थे वरिष्ठ कथाकार श्री सुभाष नीरव, वरिष्ठ लघुकथाकार व आलोचक श्री जितेंद्र जीतू और प्रकाशक श्रीमती नीरज सुधांशु। कार्यक्रम का संचालन किया कवियत्री व लेखिका श्रीमती नीलिमा शमा जानकार्यक्रम की शुरूआत करते हुए मातृभारती. कॉम के फाउंडर श्री महेंद्र शर्मा जी ने उपस्थित महमानों का स्वागत किया और साथ ही लघकथा लेखकों और लेखिकाओं का प्रो8साहन बढाया। साथ ही इस दिन प्रति वर्ष लघकथा स्वाभिमान दिवस के तौर पर मनाने का भी प्रस्ताव रखा। श्री सभाष नीरव जी ने अपनी लघुकथा यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि इस विषय पर प्रतियोगिताओं का होना एक उत्तम कार्य है, प्रतियोगिताओं के माध्यम से ही श्रेष्ठ लेखकों को पाठकों के समक्ष लाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने लघकथा लेखकों व नवोदितों के लिए एक वर्कशॉप करने का भी प्रस्ताव रखा। श्री जितेंद्र जीतू जो इस प्रतियोगिता के निर्णायक भी रहे, उन्होंने अपने मन्तव्य प्रेक्षकों के समक्ष रखे। श्रेष्ठ लघकथाओं का मार्मिक पाठ करके श्री जितेंद्र जीतू ने लघुकथाओं का जीवन में क्या महत्व है उस पर अपनी राय प्रेक्षकों के सामने रखी। प्रतियोगिता में 5 सर्वश्रेष्ठ कथाओं को सम्मान दिया गया जिसमें भगवान वैद्य, डॉ.आर बी भंडारकर, रत्न कुमार सांभरिया, प्रदीप मिश्र, शोभा रस्तोगी शामिल हैं। श्रीमती नीरज सुधांशु ने अपनी प्रकाशक व निर्णय की भूमिका के बारे में प्रेक्षकों को अवगत कराया व साथ ही प्रतियोगिता एक विषय के अनुरूप लेखन को योग्य बताया। विषय व समय मर्यादा के साथ लिखकर ही लेखक एक उत्कृष्ट रचना का सर्जन कर सकता है। कार्यक्रम के अंत में श्री महद्र शमा जी ने सभी उपस्थित महमाना के प्रति आभार व्यक्त किया और भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रमों को करने की भी आशा जताई।


 


              उत्कृष्ट लघुकथा लेखन


            एक कठिन साधना


               


 


भोपाल उत्कृष्ट लघुकथा लिखना कोई सहज कार्य नहीं, इसके लिये लेखक को गम्भीर चिन्तन, निरन्तर अभ्यास की आवश्यकता होती है, अपने लिखे को स्वयं बार-बार पढ़ना चाहिए, अपने से वरिष्ठ लोगों को इसे एक बार दिखाकर ही प्रकाशन हेतु प्रस्तुत करना चाहिए। यह विचार हैं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ प्रेमभारती के वे लघुकथा शोध केंद्र, भोपाल द्वारा आयोजित लघुकथा गोष्ठी एवं विमर्श के अवसर पर मानस भवन के सभगर में मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्गार प्रकट कर रहे थे। इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि श्री युगेश शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में लघुकथा के नाम पर बहुत कुछ ऐसा भी लिखा जा रहा है, जिससे लघुकथा की गरिमा घटी है, लघुकथा के लेखकों को सतर्कता पूर्वक इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। इस अवसर पर श्रीमती वर्षा ढोबले ने 'मिन्नी', 'अंगारे' और 'पहचान' लघुकथों का पाठ किया, इसके पश्चात श्री गोकुल सोनी ने 'ऑफर', 'बहुरूपिया', और 'एकलव्य', लघुकथाओं का पाठ किया, इसी क्रम में श्रीमति जया आर्य ने 'क्या वो पागल है', 'जज साहिबा', 'आस्था' लघुकथाओं का पाठ किया। इस क्रम को आगे बढ़ाया श्रीमती सुमन त्रिपाठी, एवं श्रीमती सुनीता प्रकाश ने जिनकी समसामयिक लघुकथाओं को श्रोताओं ने भरपूर सराहा। इन लघुकथाओं पर विस्तृत चर्चा वरिष्ठ लघुकथाकार और कार्यक्रम संयोजक श्रीमती कान्ता रॉय ने अपने विचार व्यक्त किये इन लघुकथाओं पर डॉ राजश्री रावत, श्रीमती शशि बंसल, श्री विनोद जैन, श्री घनश्याम मैथिल, श्री सतीश श्रीवास्तव, श्रीमती सुमन ओबेरॉय ने अपनी समीक्षा प्रस्तुत की, कार्यक्रम में मानस भवन के संचालक श्री रमाकांत दुबे ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार प्रकट किए।


          हिंदी भवन महादेवी वर्मा कक्ष में


           लघुकथा प्रसंग का आयोजन सम्पन्न


     


भोपाल। म.प्र. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ने पिछले दिनों हिन्दी भवन के महादेवी वर्मा कक्ष में पहली बार लघुकथा पर केन्द्रित 'लघुकथा प्रसंग' कार्यक्रम का आयोजन प्रख्यात कथाकार संतोष श्रीवास्तव के मुख्य आतिथ्य और वरिष्ठ कथाकार श्रीमती उषा जायसवाल की अध्यक्षता में आयोजित किया। कार्यक्रम में 10 आमंत्रित लघुकथाकारों ने अपनी 50 चुनिंदा लघुकथाओं का पाठ किया। श्रोताओं को एक ही कार्यक्रम में विविध रंग और तेवर की लघुकथाओं का आनंद मिला। लघुकथा आंदोलन में श्रीमती कांता रॉय ने अपने आलेख के माध्यम से लघुकथा की गति प्रगति और व्याप्ति की जानकारी दी। समिति की कोषाध्यक्ष श्रीमती रक्षा सिसोदिया ने मुख्य अतिथि, अध्यक्ष एवं आमंत्रित लघुकथाकारों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन किया- कथाकार युगेश शर्मा ने। कार्यक्रम में श्रोताओं की उपस्थिति बहुत उत्साहजनक रही। अतिथि वक्ताओं और लघुकथाकारों ने 'लघुकथा प्रसंग' कार्यक्रम के आयोजन के लिए समिति को बधाई दी। कर्नल गिरजेश सक्सेना इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित थे। 'लघुकथा प्रसंग' में भोपाल के जिन लघुकथाकार श्रीमती कांता राय, श्रीमती जया आर्य, श्रीमती सुमन ओबेरॉय, श्री घनश्याम अमृत, श्रीमती कुंकुम गुप्ता, श्रीमती शशि बंसल, श्री सतीशचन्द्र श्रीवास्तव, श्रीमती महिमा श्रीवास्तव वर्मा, श्रीमती नीना सिंह सोलंकी एवं श्री गोकुल सोनी ने रचनाओं का पाठ किया।


 


           महेश्वर में लघुकथा शोध केंद्र के शुभारम्भ


                  व लघुकथा वृत का विमोचन


                 


 


लघुकथा शोध केंद्र भोपाल की निमाड़ शाखा का शुभारम्भ दिनांक २६ दिसंबर २०१८ को महेश्वर में एक सारस्वत आयोजन में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि ललित निबंधकार नारायण प्रसाद मंडलोई ने लघुकथा का प्राचीनतम इतिहास बताकर संस्कृत साहित्य के विष्णु शर्मा व नारायण पंडित की क्रमशः पंचतंत्र तथा हितोपदेश की कहानियों से संबंध स्थापित किया। यह परंपरा संस्कृत से हिन्दी में आई है। प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत एस के त्रिपाठी ने लघुकथा को तत क्षण में प्रभाव उत्पन्न करने वाली विधा बताया। तो अध्यक्षीय उद्बोधन में शिक्षाविद पी के गुप्ता ने लघुकथा शोध केन्द्र की स्थापना साहित्यिक नगरी महेश्वर में होना युवापीढी व खरगोन जिले नवोटिन प्रचनाकारों के लिए शुभसंकेत बताया है। कार्यक्रम के शुरुआत हरीश दबे जी ने सरस्वती वंदना से की साथ ही मां नर्मदा जी की वंदना से शब्द सुमन अर्पित किये। पश्चात अतिथियों का स्वागत संस्था के संरक्षक और जनजागृति मंच के अध्यक्ष श्री मनमोहन जोशी, संदीप शर्मा और अभय सोलंकी ने किया। संस्था का परिचय और प. निमाड़ शाखा शोध केंद्र के शुभारंभ की जानकारी भोपाल मुख्यालय से मनोनीत जिला संयोजक विजय जोशी ने दी। और संस्थान के उद्देश्यों को सबके समक्ष रखा। इस अवसर पर शोध केंद्र से प्रकाशित मासिक अखबार लघुकथा वृत' का विमोचन हुआ। लघुकथा गोष्ठी का शुभारंभ बहुभाषी अभय सोलंकी ने पीपल टावर्स से हुआ। साथ ही उन्होंने निमाड़ी लघुकथा का पाठ भी कियावरिष्ठ गजल गीतकार हरीश दुबे ने बुनकरों की दासता पर आधारित लघुकथा का पाठ किया। जिन्हें बहुत सराहा गया। विजय जोशी 'शीतांशु' में चुनावी संयोजन पर व बेटी बचाव पर आधारित लघुकथा क्रमशः 'शाकाहारी शेर' व 'अजन्मी बेटी का दर्द' प्रस्तुत की। मनीष पाटीदार ने भी रचना पाठ किया। वहीं कृष्ण लाल विश्वकर्मा ने प्रेमचंद जी की कहानी के पात्रों का अपने वक्तव्य में उल्लेख किया। सूचना के अधिकार आयोग के जिला संयोजक आशीष मेहता का सहयोग भी सराहनीय रहा। इस अवसर पर लोक गीत गायिका श्रीमती मनीषा शास्त्री , सीमा जोशी, निशा जोशी, पंढरीनाथ भटोरे, हरिवल्लभ शास्त्री, संस्कृति पैलेस के अजय जोशी, पोस्टमास्टर संदीप जी शैलेन्द्र भांगडे आदि उपस्थित थेआभार संरक्षक मनमोहन जोशी ने किया।


• विजय जोशी 'शीतांशु' जिला संयोजक


 


 


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