त्रिलोचन शास्त्री एक गम्भीर संवेदनशील प्रेमी : कान्ता रॉय
त्रिलोचन शास्त्री एक गम्भीर संवेदनशील प्रेमी : कान्ता रॉय प्रिय, प्रेयसी और प्रेम, कविताई में अक्सर सबसे पहले यही स्वर उभर कर सामने आया करता है। प्रेम जब अंतर्मन में साँस लेते हुए भावातिरेक में बहता है तो कविता जन्म लेने लगती है। वियोग अथवा मिलन, यह किसी भी कवि के जन्म होने के कारण हो सकता है। जनवादी कवि के रूप में विख्यात त्रिलोचन शास्त्री मेरे जेहन में कुछ अपनी प्रेम कविताओं के साथ विचरन करते हैं। कहते हैं कि "फर्स्ट इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन।" इस बात को यहाँ साक्षात प्रतिपादित होते महसूस करती हूँ। किसी भी कवि की पहली कविता प्रेम से ही यात्रा करती है ऐसा मेरा निजी विचार रहा है। जो बातें सामने जाकर नहीं कह सकते उसको कहने का माध्यम कविता को बनाया जाता है। जनवादी कवि त्रिलोचन शास्त्री यानी कमजोर तबकों के लिए अपनी कलम से आग उगलने वाले, तीव्र गति से कथ्य के सहारे हृदय में टीस पैदा करने वाली पंक्ति पर रुकना पड़ा। 'चैती' पढ़ते हुए कवि का प्रेम सहसा साक्षात रूप में सामने आकर खड़ा हो गया। श्रृँगार-भावना जीवन की मधुरतम भावना है, छायावाद से बिना प्रभावित हुए अपनी यथा