लघुकथा भोपाल से

भोपाल में लघुकथा-लेखन जिस तरह से  गतिमान है, इसमें दो राय नहीं कि आने वाले समय में भोपाल लघुकथाओं का गढ़ होगा।

 


डॉ.कुंकुम गुप्ता   

  2/9 रणथम्भोर कॉंप्लेक्स जोन -2

        एम॰ पी.नगर भोपाल -11

         मो. -9425606033


कटर 

जन्मदिन पर मन में विचारों की तरंगे थमने का नाम नहीं ले रही थी लेकिन सुबह से रोज़ की तरह अपनी दिनचर्या में व्यस्त थी। बच्चे भी रोज़ की तरह चाय, नाश्ता, टी. वी. में व्यस्त थे। अचानक बच्चे एक गिफ्ट पेक लाकर मुझे थमाते हुए बोले,

 हैप्पी बर्थ डे मम्मी 

हैप्पी बर्थ डे आँटी 

हैप्पी बर्थ डे बड़ी मम्मी 

     अरे! यॆ क्या? याद था तुम लोगों कॊ मेरा जन्मदिन।

   हाँ, हम लोग प्लानिंग कर रहे थे कि आपको क्या दे जो आपको पसंद आये वरना उलट आप हम लोगों कॊ डाँटोगी कि इतने पैसे इसमें क्यों खर्च किये? 

   -आप खोल कर देखो फ़िर बताओ गिफ्ट कैसी लगी?

   अच्छा तुम्हीं सब खोलकर बताओ 

  तीनों ने मिलकर गिफ्ट खोली उसमें सब्जी का कटर था। खोलते ही वह बोली, "आपको प्याज काटते समय आँखों में बहुत आँसू आते है इसलिये यॆ कटर लाये ताकि मिनिटों में काम हो जाये और आपके आँसू न आयें।

    चिमटे से कटर का सफर आखों कॊ नम बना रहा था

           

   




जया आर्य

9826066904

aryajaya@yahoo.com

D4 शालीमार गार्डन 

कोलार रोड

भोपाल 462042



मदारी का खेल

मदारी ने ज़ोर-ज़ोर से डमरू बजाते हुए आवाज़ लगाई, नाच झुमरू नाच, उछल कन्हैया उछल, अरे मेरे दाना पानी उछल, दिखा अपना कमाल। दिखा अपना कमाल प्यारे ----।

डमरू पर दोनों बंदरियां झूमती रही नाचती रही, लोग पैसे फेंकते रहे, मज़े लेते रहे, फिर एक छड़ चली तो बंदरिया उछल कर ऊपर पेड़ से लटक गई, शायद नाच नाचकर थक गई थी, आज़ादी चाहती थी।

ममता घर से निकली ही थी, स्कूटी पर ऑफिस जाते हुए कल रात की बातें दिमाग मे घूम रही थी। पति चिल्ला रहा था:

"रोज़ गुलछर्रे उड़ाने जाती है, ऑफिस के नाम पर मौज मस्ती करती है।” तभी बन्दरिया को पेड़ पर टंगा देखा। आज़ाद होते देखा। तो मन मे ज़ोर से खयाल आया, "मैं भी आज़ादी चाहती हूँ, अब और नहीं सह सकती। किसी के इशारे पर नाच नहीं सकती।” उसने स्कूटी की आवाज़ तेज़ की, अपने धुन में आगे बढ़ने ही वाली थी कि देखा बन्दरिया वापस उछल कर मदारी के कंधों पर कूद गई। उसके कंधे पर टंगे थैले से मटर छील कर खाने लगी। मदारी ने पुचकारा, प्यार किया और कहा : "नाचेगा न मेरा झुमरू-----?" बंदरिया उसके तौलिए से मुँह पोंछकर हंस रही थी ! ममता ने धड़कते दिल से स्कूटी की आवाज़ धीमी की और चल पड़ी--  शायद अपने दिल की आवाज़ सुनी ?

Popular posts from this blog

लघुकथा क्या है (Laghukatha kya Hai)

कान्ता रॉय से संतोष सुपेकर की बातचीत

स्त्री शिक्षा : एक गहन विषय