मध्यप्रदेश लघुकथा में अग्रणी प्रदेश बने -कैलाशचंद पंत

भोपाल | आज लघुकथकार का दायित्व व चुनौतियां बड़ी हैं हमें लघुकथाओं के माध्यम से पलायन नहीं प्रतिरोध करना है यह उदगार हैं प्रो0 शेलेन्द्रकुमार शर्मा वरिष्ठ साहित्यकार विभागाध्यक्ष एवम कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के जो मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति हिंदी भवन भोपाल द्वारा आयोजित 'लघुकथा -प्रसंग' के अवसर पर आयोजित विशिष्ट लघुकथा गोष्ठी के आयोजन में मुख्य समीक्षक के रूप में अपने विचार प्रकट कर रहे थे |

इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ साहित्यकार और मंत्री संचालक राष्ट्रभाषा प्रचार समिति हिंदी भवन भोपाल कैलाश चंद पंत ने कहा कि -' तत्कालीन परिस्थितियों पर लघुकथाएं सटीक प्रहार करती हैं आज पाठक पत्र-पत्रिकाओं में लघुकथाओं की प्रतीक्षा करते हैं लघुकथा लेखन सहज नहीं चुनौतीपूर्ण कार्य है हिंदी भवन नियमित लघुकथा पाठ का आयोजन कर इस विधा के विकास और संवर्धन के यथासंभव प्रयास करेगा |

इस अवसर पर कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ साहित्यकार और निदेशक मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति डॉ जवाहर कर्नावट ने कहा कि-'लघुकथा प्रभावी ढंग से संक्षिप्त यानी कम शब्दों में अपनी बात रखने की महत्वपूर्ण विधा है |'

लघुकथा शोध केंद्र भोपाल की निदेशक वरिष्ठ लघुकथाकार और इस आयोजन की संयोजक कांता राय के संचालन में लघुकथा गोष्ठी प्रारम्भ हुई जिसमें श्री सतीश राठी (इंदौर)  ने श्रम के महत्व को रेखांकित करती हुई 'रोटी की कीमत' लघुकथा का वाचन किया | इस अवसर पर मानव से मानव का भेद और कोरोना काल पर डॉ गिरजेश सक्सेना ने 'राम नाम सत्य है ' लघुकथा का पाठ किया | वरिष्ठ लघुकथकार पवन जैन (जबलपुर) ने ईमानदारी को केंद्र में रखते हुए अपनी महत्वपूर्ण लघुकथा 'फाउंटेन पेन' प्रस्तुत कर उपस्थित जनों का ह्रदय जीत लिया | वरिष्ठ लघुकथकार डॉ मालती बसंत ने विद्यार्थियों में नकल की प्रवृत्ति पर 'गांधारी से एक कदम आगे ' लघुकथा का वाचन किया इस अवसर पर आज के बाजारबाद पर केंद्रित 'क्रय-शक्ति' लघुकथा का पाठ आशागंगा श्रीढोनकर (उज्जैन) ने किया | गोष्ठी के क्रम।को आगे बढ़ाया घनश्याम मैथिल 'अमृत' ने अपनी लघुकथा 'हिंदी प्रॉब्लम सर' जिसमें वर्तमान पीढ़ी हिंदी से विमुख हो रही है पर कटाक्ष किया |

वरिष्ठ लघुकथकार गोकुल सोनी ने अपनी लघुकथा ' नीच' के माध्यम से सड़कों पर नाचते तथाकथित सभ्य लोगों द्वारा बेंड-बाजे वालों को नीच कहने पर उनके द्वारा दिये गए जवाब के माध्यम से ह्रदय को छूने वाली अभिव्यक्ति प्रदान की इस अवसर पर वरिष्ठ कथाकार राज बोहरे (दतिया) ने 'खेत के दुश्मन' लघुकथा का माध्यम से किसान और जैव-विविधता पर ज़रूरी सन्देश दिया |

गोष्ठी के क्रम में लघुकथाकार सुनीता प्रकाश ने पर्यावरण के महत्व को रेखांकित करती 'सांसों का अभाव'लघुकथा प्रस्तुत की कार्यक्रम के अंत में लघुकथकार मुजफ्फर इकबाल सिद्दीकी ने 'मंज़िल' लघुकथा के माध्यम से समय के महत्व को रेखांकित किया |

गोष्ठी के अंत में जया आर्य ने सभी उपस्थित जनों का आभार प्रकट किया | इस लघुकथा प्रसंग में देश प्रदेश के लगभग 110 लघुकथाकारों ने भाग लिया जिनमें प्रमुख रूप से बालकृष्ण नीमा, ब्रजेश कानूनगो,बहादुर सिंह परमार,आनन्द तिवारी, आनन्द सक्सेना, कुमकुम गुप्ता, कल्पना भट्ट, अशोक धमेनिया, मधुलिका सक्सेना ,अशोक दुबे डॉ मनीराम पंत,उषा जायसवाल,आदि प्रमुख थे |

 

रिपोर्ट-घनश्याम मैथिल 'अमृत'

 

                   

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